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ऑलिम्पिक रिग्ज
अधिकारिक रूप से यह घोषित किया गया है कि आलिम्पिक की पांच कड़िया (रिग्जू) संसार के पांच महाद्वीपों को सूचित करती हैं, परंतु उसमें न तो उन कड़यों के रंगों का कोई विशेष अर्थ बताया गया हैं और न प्रत्येक महाद्वीप का अपना-अपना विशिष्ट रंग निश्रित करने का कोई इरादा दिखायी देता हैं ।
पर, जो हो, इन रंगों का अध्ययन करना और यह देखना कि इन रंगों का क्या अर्थ हों सकता है ओर ये रंग कोई विशेष संदेश देते हैं या नहीं, बहुत मजेदार होगा । यह अच्छी तरह जानी-मानी बात है कि प्रत्येक रंग का एक अर्थ होता हैं, परंतु विभित्र व्याख्याताओं ने उन्हें विभिन्न प्रकार का अर्थ दिया हैं और अधिकांश में हैं अर्थ एक-दूसरे के विरोधी हैं । उन्हें देखने से ऐसा मालूम होता है कि ऐसे अर्थों का कोई सर्वजन स्वीकृत वर्गीकरण नहीं हैं । इसका कारण यह हैं कि इन रंगों को मनुष्य मन की दृष्टि से देखता है, अथवा कम-से-कम व्याख्याता की व्याख्या पर उसके मन का प्रभाव पड़ता है । परंतु मनुष्य यदि मन के अपर जाकर परे के वास्तविक गुह्य क्षेत्रों मे प्रवेश करे, तो प्रत्येक रंग का सच्चा अर्थ प्रत्येक आदमी के लिये, जो इस तरह सीधा ग्रहण कर सकेगा, एक हीं होगा । यह बात केवल इसी क्षेत्र के लिये नहीं बल्कि सभी आध्यात्मिक और गुह्य अनुभूतियों के लिये एकदम सही है । समस्त कालों और स्थानों के जोगियों की आध्यात्मिक अनुभूतियों में हम एक बढ़ी ही अद्भुत समानता पाते हैं । अतएव, इस दृष्टिकोण से यदि हम ऑलिम्पिक चिह्र की कड़यों के रंगों को देखें, तो हमें उनका सच्चा गूढ़ अर्थ मिल सकता है और फिर संसार के महाद्वीपों के साथ उनका संबंध जोड़ने की बात का भी अध्ययन किया जा सकता है ।
हरा रंग एक विशाल और शांत मनोभाव को और प्रकृति के साथ सीधे संपर्क और अत्यंत सामंजस्यपूर्ण संबंध को सूचित करता है । यह उस महाद्वीप का प्रतीक हो सकता हैं जिसमें खुले हुए विस्तृत मैदान हों और जहां के लोग बिलकुल शुद्ध और सरल हों, किसी मिलावट के कारण नष्ट न हों गये हों और प्रकृति और मिट्टी के बहुत समीप हों ।
लाल भौतिक और स्थूल जगत् का रंग हैं । इसलिये लाल कड़ी उन रोगों के लिये प्रयुक्त हो सकतीं है जिन्हेंने भौतिक जगत् पर महान विजय प्राप्त की हों । यह रंग साथ ही यह भी सूचित करता है कि इस भौतिक सफलता ने उन्हें दूसरों के ऊपर प्रभुत्व प्रदान किया है । जो हो, यह उन लोगों को सूचित करता हैं जो अत्यंत भौतिक और स्थूल वस्तुओं पर ही अधिक जोर देते हैं ।
नीला रंग, दूसरी ओर, एक, नये महाद्वीप को सूचित करता हैं जिसके सामने उसका सारा भविष्य पड़ा हैं और जिसमें बहुत बडी-बडी संभावनाएं हैं, परंतु जौ अभी कच्चा और पूरी तरह विकास की प्रक्रिया में हैं ।
काला रंग वास्तव में अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण चुनाव है क्योंकि यह केवल एक ऐसे महाद्वीप को ही सूचित कर सकता है जो तेजी से गभीर अंधकार में गिर रहा हो- यह रंग पतनोन्मुख जाति के काली विस्मृति के अंदर गिरने की अवस्था को प्रकट करता
इसैंके विपरीत, पीला रंग सब रंगों में सबसे अधिक गौरवपूर्ण हैं । वह दिव्य 'ज्योति ' का सुनहला रंग है-उस 'ज्योति' का जो समस्त वस्तुओं के 'मूलस्रोत' और ' आदि- स्थान' से आती हैं और जो विकसनशील मनुष्यजाति को, अपने दयालु हाथ से, उसके भागवत 'फल' की ओर वापिस ले जायेगी ।
जिस ढंग से ये कड़िया व्यवस्थित हैं, उसका भी एक अर्थ है । काला केंद्रीय और आधार-रूप रंग हैं, और यह निश्चय ही आज संसार में फैली हुई वर्तमान अंधकारपूर्ण अस्तव्यस्तता का तथा अज्ञान के अंधकारपूर्ण समुद्र के ऊपर मनुष्यजाति की नौका को खेने के लिये संघर्ष करनेवाले लोगों की अंधता का सच्चा परिचायक है ।
हम आशा करते हैं कि भविष्य में इस काली कड़ी के स्थान पर एक सफेद कड़ी आ जायेगी जब मानव-व्यापारों का ज्वार पलटा खायेगा, जब अज्ञान की छाया एक नवीन ज्योति के, एक नयी 'चेतना' की उन्वल, श्वेत, स्वयं प्रकाशमान ज्योति के उदय होने के कारण दूर हों जायगी और जब चकाचौंध करनेवाली इस उज्ज्वलता के सम्मुख मनुष्यजाति की नौका के कर्णधार वे लोग होंगे जो 'प्रतिश्रुत लोक' की ओर जाने का मार्ग निश्चित करेंगे ।
('बुलेटिन' नवम्बर १९४९)
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